Wednesday, June 15, 2011

मौके पर जाकर फंसे पुलिस कमिश्नर!

राकेश कुमार सिंह
 
सबहेड::::::::
महकमे के मुखिया को बचाने पर हो रही माथा-पच्ची
खौफ में खाकी
-शीर्ष न्यायालय में सुनवाई की तारीख नजदीक आते ही अधिकारियों में बढ़ने लगी है बेचैनी
-रामलीला मैदान में बाबा रामदेव समर्थकों पर बर्बरतापूर्ण कार्रवाई का मामला
राकेश कुमार सिंह, नई दिल्ली
रामलीला मैदान में बाबा रामदेव समर्थकों पर बर्बरता पुलिस के गले की फांस बनती नजर आ रही है। जैसे-जैसे शीर्ष न्यायालय में सुनवाई की तारीख नजदीक आ रही है पुलिस अधिकारियों की बेचैनी बढ़ने लगी है। दिन-रात बार-बार पुलिस मुख्यालय व गृह मंत्रालय में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की इस मुद्दे पर गोपनीय बैठकें, इस घबराहट की तस्दीक करती हैं। सूत्रों के मुताबिक इस प्रकरण को लेकर अब तक हुई बैठकों से स्थिति साफ हो गई है कि शीर्ष अधिकारियों पर गाज गिरना तय है। बैठकों में इस बात पर ही मंत्रणा होती है कि किसी तरह मुखिया को बचा लिया जाए।
गौरतलब है कि पुलिस महकमे के मुखिया खुद घटना वाली रात मौके पर चले गए थे। तमाम निजी चैनलों व प्रिंट मीडिया में उनकी तस्वीरें व बयान आ चुके हैं, जो इस प्रकरण में उन्हें फंसा सकते हैं। पुलिस अधिकारियों के बीच चर्चा भी इसी बात को लेकर हो रही है कि पुलिस कमिश्नर को किसी भी सूरत में घटना वाली रात मौके पर नहीं जाना चाहिए था। चैनलों के फुटेज में यह भी दिखाई दे रहा है कि संयुक्त आयुक्त सुधीर यादव खुद मंच पर चढ़कर बाबा रामदेव का हाथ पकड़ कर खींच रहे हैं। महकमे के अधिकारियों का कहना है कि वहां सैकड़ों इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी थे। ऐसे में उन्हें क्यों मंच पर भेजा गया। पुलिस अधिकारियों को लगने लगा है कि शीर्ष न्यायालय निश्चित तौर पर कार्रवाई करेगी। यह दिल्ली पुलिस के लिए एक बड़ा सबक होगा।
मामले का शीर्ष न्यायालय द्वारा स्वत: संज्ञान लेने के बाद पुलिस अधिकारियों ने एक बार तो सोचा था, कि जिलास्तर पर कार्रवाई कर इस प्रकरण से मुक्ति पा ली जाएगी, लेकिन उस दिशा में कोई सबूत ही नहीं मिला, जिससे इसका ठीकरा सिर्फ जिलास्तर पर ही फोड़ दिया जाए। पेंच तब फंसा जब मध्य जिला के डीसीपी विवेक किशोर किसी चैनल के ऐसे फुटेज में नहीं दिखे, जिससे साबित हो कि वे कार्रवाई में थे। पुलिस ने दिल्ली के सभी भाषाओं के निजी चैनलों से कार्रवाई के समय के फुटेज मंगवा कर उनकी जांच की, लेकिन किसी के पास स्पष्ट रूप से ऐसे फुटेज नहीं मिले, जिनसे यह साबित हो, कि पहले बाबा के समर्थकों ने हंगामा व पथराव किया। इसके बाद पुलिस ने जवाबी कार्रवाई की। जहां तक लाठी चार्ज व आसूं गैस के गोले छोड़ने का बड़ा मुद्दा है तो टीवी के फुटेज में तमाम सबूत हैं, जो पुलिस की दलील को झूठा साबित कर सकते हैं।



साभारः दैनिक जागरण

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