Tuesday, June 14, 2011

मुसलमानों ने जब भारत पर आक्रमण किया तो


निखिल
 
प्रस्‍तुतिः डॉ0 संतोष राय
 
मुसलमानों ने जब भारत पर आक्रमण किया तो तक्षशीला के विशाल पुस्तकालय को देखकर भारतीयों से पूछा "इसमे क्या है ? क्या इसमे कुरान के बाहर का कुछ है ?" जवाब मिला - 'बहुत कुछ' । तब उनके कट्टरपंथी मुल्लाओं ने कहा 'जो कुरान के बाहर का है वह कुफ़्र है, जला दो पूरे पुस्तकालय को' और उन्होने भारत के हजारो वर्ष प्राचीन और बहुमूल्य ज्ञान साहित्य, ऋषि...यों की पाण्डुलिपियों (original text) से भरे पूरे ग्रंथागार को धु-धु कर जला दिया गया । यह भारत के प्राचीन साहित्य का एक बड़ा और अत्यंत गंभीर नुकसान था ।

जब इन मलेच्छवंशियों ने नालंदा पुस्तकालय को देख कर पूछा की क्या इसमे भी कुरान के बाहर का कुछ है तो तक्षशीला का हाल देख चुके एक चतुर व्यक्ति ने कहा की 'जी नहीं, पवित्र कुरान में जो कुछ है वही है' । तब कट्टरपंथी मुल्लाओं ने कहा की 'तब कुरान ही बहुत है इनकी क्या आवश्यकता जला दो इसे भी' । और नालंदा के विश्व विद्यालय को भी आग की लपटों के हवाले कर दिया गया ।

यह क्रम इस फटीचर 'लूट-तंत्र ' मे भी अनवरत जारी है.......बौद्धिक लूट

अग्निवेश जैसे सामाजिक लुटेरे.....ज्योतिर्मय शर्मा, अरुंधति, अरुणा रॉय, काँचा इलैया, शोभा डे जैसे हिन्दू विरोधी लेखक आज इस्लामिक कट्टरपंथियों का रूप धरे हुए

1 comment:

Anonymous said...

100 % sahi kaha aapne