Wednesday, August 24, 2011

अल्लाह का दरबार कैसा है ?

बी.एन. शर्मा

प्रस्‍तुति: डॉ0 संतोष राय

एक शायर ने कहा था "शुक्र कर खुदाया ,मैंने तुझे बनाया ,तुझे कौन पूछता था मेरी बंदगी से पहले "हमें इस्लाम को ठीक से समझने के लिए पहले अरबों के इतिहास ,उनकी संस्कृति ,और उनकी मानसिकता को समझाना होगा .असल में इस्लाम अरबी साम्राज्यवाद का दूसरा रूप है .जिसमे औरतों को भोग की वस्तु माना गया है .मुहम्मद के समय अरब पर ईरान के शाह "یزدگردयज्देगर्द"का शासन था .अरब मूलतः मूर्तिपूजक और बहुदेववादी थे .और काफिलों के साथ जगह जगह जाते रहते थे .कुछ जगह रोमन सम्राट की हुकूमत थी .जब मुहम्मद ने इस्लाम की स्थापना की तो तत्कालीन सम्राटों के वैभव से प्रभावित होकर कुरान में अपने अल्लाह को एक बादशाह के रूप में निरुपित कर दिया .यद्यपि मुसलमान अल्लाह को निराकार बताने का दावा करते हैं ,लेकिन यदि आप दिए गए कुरान और हदीस के हवालों को ध्यान से पढ़ें तो आपको पता चल जायेगा कि मुहम्मद ने अल्लाह की कल्पना किसी सम्राट के दरबार को देखकर या उसके वैभव की कहानियां सुनकर की गयी होगी .
यही नहीं मुहम्मद ने अल्लाह के बारे में जो कल्पित बातें कुरान में दर्ज की थीं ,उसे उनकी पोल खुल जाने का डर भी था .मुहम्मद ने कहा था ,
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तुम अल्लाह के बारे में ऐसी बातें न करो ,कि अगर वह लोगों के सामने खुल जाएँ तो ,खुद तुम्हें बुरा लगे .इसलिए तुम्हें इसके बारे में सावधान रहना चाहिए 
"
कुरान -सूरा मायदा 5 :101 -102 .
कुरान में अल्लाह को एक बादशाह के रूप में निरुपित किया गया है .और उसके सिंहासन को "अर्शعرش "कहा गया है .कुछ जगह "कुर्सीكرسي "भी लिखा है .एक राजा के दरबार में जो भी होता है ,मुहम्मद ने अल्लाह के दरबार में वह सभी बातें लिख डालीं .इनको पढ़कर आपको ऐसा लगेगा ,जैसे आप अल्लाह का वर्णन नहीं ,बल्कि मुगले आजम फिल्म देख रहे हों .जरा अल्लाह के दरबार का एक नजारा देखिये -
1 -अल्लाह का सिंहासन कैसा और कहाँ है ?
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अल्लाह राजसिंहासन पर विराजमान होकर अपने राज का इंतजाम चला रहा है "सूरा -यूनुस 10 :3 
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अल्लाह अर्श पर विराजमान है ,औए सूरज चाँद को काम पर लगाकर राज कर रहा है " सूरा -रअ द 13 :2 
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रहमान राजसिंहासन पर आसीन होता है "सूरा -ताहा 20 :5 
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अल्लाह एक गौरवशाली तख़्त का सवामी है "सूरा -अल बुरूज 85 :15 
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बताओ सातों आसमानों और अर्श का स्वामी कौन है "सूरा -अल मोमिनून 23 :86 
यही बातें हदीसों में में भी लिखी हैं -
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अल्लाह का तख़्त आसमानों से भी ऊंचा है ,और अलाह को वहां तक चढाने के लिए उठाना पड़ता है .और अल्लाह हांफते हुए उस पर चढ़ जाता है "
सुन्नन अबू दाऊद-जिल्द 3 किताब 40 हदीस 4708 
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अल्लाह आसमान के ऊपर कुर्सी जमाकर बैठता है .और नीचे की घटनाओं को देखता रहता है "इब्ने माजा -जिल्द 1 हदीस 193 
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अल्लाह का आसन आसमान से भी ऊंचा है ,और उसके निचे एक चौकी है ,जिस पर अल्लाह अपने पैर रखता है "
अबू दाऊद -जिल्द 3 किताब 40 हदीस 4705 
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अल्लाह के तख़्त को "अर्श "और कुर्सी भी कहा जाता है "सूरा -बकरा 2 :255 
2 -फ़रिश्ते अल्लाह का तख़्त उठाते है 
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फ़रिश्ते अल्लाह के सिंहासन को उठाते हैं और उसके चरों तरफ घेरा बनाकर खड़े हो जाते हैं "सूरा -अल मोमिनीन 40 :7 
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अगर क़यामत के दिन रसूल अल्लाह के अर्श को देखेंगे तो बेहोश हो जायेंगे ,लेकिन जब वह यह देखेंगे कि मूसा ने अल्लाह के अर्श को संभाला हुआ है तो उनको होश आ जायेगा "बुखारी -जिल्द 3 किताब 41 हदीस 594 -595 
सही मुस्लिम -किताब 30 हदीस 5853 -5854 
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अबू हुरैरा ने कहा कि रसूल ने बताया जब मैंने अपना सर उठाया तो देखा कि मूसा ने अर्श को संभाला हुआ है .मुझे विश्वास नहीं था कि वह उसे देर तक उसे उठाये रख सकेंगे "बुखारी -जिल्द 6 किताब 60 हदीस 337 
3 -अर्श पानी पर तैरता है 
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नोट -लगता है यह बात हिन्दुओं से ली गयी है .हिन्दू विष्णु भगवान को क्षीर सागर पर स्थित मानते हैं )
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अल्लाह ने अपना आसन पानी पर बनाया है "बुखारी -जिल्द 4 किताब 54 हदीस 414 
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अर्श पर लिखा है 'मेरी दया मेरे क्रोध पर हावी हो जाती है بلدي يقهر رحمة غضبي" बुखारी -जिल्द 5 किताब 54 हदीस 416 
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बाद में अल्लाह ने अर्श पर यह लिखवा दिया 'मेरी कृपा के बाद मेरा क्रोध आता है رحمتي غضبي العائدات"बुखारी -जिल्द 9 किताब 93 हदीस 518 
4 -जिहादियों कि मौत से अर्श कांपता है 
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जबीर बिन अब्दुल्लाह ने कहा कि रसूल ने बताया जब एक जिहादी "साद बिन मुआज की दर्दनाक मौत हो गयी थी ,तो अलाह का अर्श बुरी तरह से कांपने लगा था "सही मुस्लिम -किताब 31 हदीस 6034 -6035 
5 -अल्लाह की सवारी औरत है 
वैसे तो अल्लाह की शादी नहीं हुई ,लेकिन वह जन्नत में आने जाने के लिए "البراقबुराक" नामकी एक परी पर सवारी करता है .और जब मुहम्मद अल्लाह से मिलाने जाता था ,तो अल्लाह बुराक भेज देता था .बुराक का चेहरा औरत जैसा था और पैर गधी जैसे थे ,वह इन्सान की तरह बात भी कर सकती थी .उसके दो पंख भी थे .हदीसों में इसके बारे में यह लिखा है -
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जिब्रील ने मुहम्मद को जम जम के पानी से साफ किया फिर बुराक पर सवार किया .जब रसूल जानत में गए तो देखा कि वहां पिछले सभी नबी मौजूद थे ."
बुखारी -जिल्द 1 किताब 8 हदीस 345 
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जिबरील ने मुहम्मद को साफ किया और बुराक पर चढ़ाया ,जिसका चेहरा औरत कि तरह और बाकि शरीर घोड़ी कि तरह था .और उसका रंग बिलकुल गोरा था "बुखारी -जिल्द 4 किताब 54 हदीस 429 
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जन्नत से वापिस आने पर रसूल ने बताया कि बुराक कद में घोड़ी से छोटी और गधी से बड़ी है .और उसका चेहरा एक सुन्दर स्त्री कि तरह है .और रंग बिलकुल गोरा है " मुस्लिम -किताब 1 हदीस 309 
6 -फरिश्तों का काम क्या है ?
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अबू हुरैरा ने कहा कि रसूल ने बताया फ़रिश्ते सवेरेआसमान से उतर कर जमीन पर उतर जाते हैं और फज्र की नमाज में इकठ्ठा हो जाते हैं .फिर नमाज के बाद अल्लाह के पास जाते हैं और कहते हैं हमने मुसलमानों को नमाज पढ़ते हुए देखा है .यह सुक कर अल्लाह खुस हो जाता है और कहता है मैंने उनके अगले पिछले सभी गुनाह माफ़ कर दिए "बुखारी -जिल्द 4 किताब 54 हदीस 446 
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अबू हुरैरा ने कहा कि रसूल ने कहा है जब भी अल्लाह फरिश्तों को किसी काम के लिए कहता है ,तो वह इकट्ठे होकर उड़ने लगते हैं और उनके पंखों के फड फड़ाने लगते हैं .जिसकी आवाज मुझे यहाँ तक सुनाई देती है " बुखारी -जिल्द 6 किताब 60 हदीस 223 
7 -अल्लाह खुद लिख सकता है 
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हमने तख्तियों पर जरुरी नियम और उपदेश लिख दिए और कहा इन तख्तियों को मजबूती से पकडे रहना और लोगों को इसके पालन का हुक्म देते रहना "
सूरा -अल आराफ 7 :145 
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अबू हुरैरा ने कहा रसूल ने कहा कि अल्लाह ने अपनी कानून की किताब खुद अपने हाथों से लिखकर एक जगह अपने तख़्त के पास रख दी है "
बुखारी -जिल्द 9 किताब 93 हदीस 501 
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अल्लाह ने तौरात अपने हाथों से लिखी थी "सही मुस्लिम -किताब 33 हदीस 6409 
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नोट -तौरात यहूदियों की धर्म पुस्तक है जिसे ईसाई भी मानते है .जिसे बाइबिल भी कहा जाता है .इसका अर्थ है बाइबिल सच्ची है और कुरान झूठी है )
8 -फ़रिश्ते भी पढ़े लिखे हैं 
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अनस बिन मालिक ने कहा कि रसूल ने बताया जब वह अल्लाह से मिलाने गए तो देक्खा कि फ़रिश्ते अल्लाह के आदेशों को कलम से लिख रहे थे और उनके लिखने से जो आवाज हो रही थी वह साफ सुनाई दे रही थी " सही मुस्लिम -किताब 1 हदीस 313 
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जब अल्लाह फरिश्तों को पढ़ा सकता है तो मुहम्मद को अनपढ़ क्यों रखा ? )
9 -मुहम्मद अल्लाह का सहायक है 
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अब्दुल्लाह बिन उमर ने कहा कि जब अल्लाह न्याय करता है तो रसूल उसके दायें बाएं बैठे रहते हैं ,और वह जैसी सलाह देते हैं अल्लाह वैसा ही फैसला करता है "
सही मुस्लिम -किताब 20 हदीस 4493 
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अबू हुरैरा ने कहा कि फैसला करते समय रसूल अल्लाह के दायीं तरफ बैठते हैं ,और अल्लाह का मार्ग दर्शन करते रहते हैं .और अल्लाह उन्हीं कि सलाह के अनुसार फैसला करता है " सही मुस्लिम -किताब 42 हदीस 7078 
( इसका अर्थ है अल्लाह में खुद की बुद्धि नहीं है )
10 -फ़रिश्ते स्त्रियाँ हैं 
इस्लामी मान्यता के अनुसार अल्लाह सातवें असमान पर अपना आसन जमाकर फरिश्तों(Angels ) के द्वारा शासन चला रहा है .और उनसे ही अपने सन्देश भिजवाता रहता है फरिश्तों के पंख भी होते हैं .जैसा कि कुरान में लिखा है - 
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अल्लाह ऐसे फरिश्तों को अपना सन्देश वाहक नियुक्त करता है ,जिनके दो-दो ,तीन -तीन ,चार -चार पंख होते हैं .सूरा -फातिर 35 :1 
इस्लाम में फरिश्तों पर इमान रखना अनिवार्य है .जैसे अल्लाह और उसकी किताबों और रसूलों पर ईमान रखना जरूरी है .कुरान में लिखा है
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हम ईमान लाये अल्लाह पर ,उसके फरिश्तों पर ,उसकी किताबों पर और उसके रसूलों पर "सूरा -बकरा 2 :285 
असल में फ़रिश्ताفرشته फारसी शब्द है .अरबी में इसके लिए "मलाये कतुनالملائكة"शब्द है .जो कुरान में प्रयुक्त किया गया है .अरबी व्याकरण के अनुसार यह शब्द स्त्रीलिंग है .अर्थात फ़रिश्ते पुरुष नहीं बल्कि स्त्रियाँ है .यही कारण था कि अरब के लोग फरिश्तों को अल्लाह की बेटियां भी कहते थे .और मुहम्मद इस बात से चिढ़ता था .यही बात कुरान से साबित होती है
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तुम्हारे लिए बेटे और अल्लाह के लिए बेटियां ? सूरा -अन नज्म 53 :21 
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लोगों ने फरिश्तों को ,(जो अल्लाह के बन्दे हैं )स्त्री ठहरा दिया है .क्या यह लोग स्रष्टि के समय मौजूद थे "सूरा -जुखुरुफ़ 17 :20 
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क्या रब ने तुम्हें तो बेटों केलिए चुना है ,और खुद अपने लिए फर्श्तों को बेटियां बना लिया ."सूरा -बनी इस्राएल 17 :40 
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यह लोग अल्लाह के लिए बेटियां चाहते हैं ,और खुद के लिए जो चाहें वह चाहते हैं "सूरा-नहल 16 :57 

इस लेख का उद्देश्य यह साबित करना है कि इस्लाम का आधार नैतिकता ,चरित्र ,और पवित्रता नहीं ,केवल औरतें ही हैं .औरतों के लिए ही जिहाद होता है ,औरतें ही लूट में बांटी जाती हैं .मुस्लिम शासक सैकड़ों औरतें रखते थे ,औरतें खरीदी बेचीं जाती है .इस्लाम में सब जायज है .यही नहीं मुसलमानों को जन्नत में औरतें (हूरें )देने का लालच दिया गया है .अल्लाह और उसका रसूल औरत पर सवारी करता है .यही नहीं अल्लाह ने अपने काम के लिए जिन लाखों फरिश्तों को लगा रखा है ,वह भी औरतें ही हैं .दुनिया का बड़े से बड़ा मुर्ख भी ऐसे इस्लाम को धर्म नहीं मानेगा .यही कारण है कि मुसलमान अपनी लड़कियों को नहीं पढ़ाते हैं 
ऐसे अल्लाह और ऐसे इस्लाम से जितने दूर रहेंगे उतना ही बेहतर होगा 

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