Wednesday, November 16, 2011

हिन्दू महासभा ने नाथूराम गोडसे का बलिदान दिवस मनाया


 डॉ0 संतोष राय
आज दिनांक 15 नवंबर 2011 प्रातः 11 बजे अमर हुतात्मा श्री पंडित नाथूराम गोडसे जी के बलिदान दिवस पर अखिल भारत हिन्दू महासभा ने श्री गोडसे जी को भाव भीनी श्रदधांजलि के रूप में अपने श्रद्धा सुमन  अर्पित किये। सभा में अंर्तराष्ट्रीय, राष्ट्रीय तथा दिल्ली प्रदेश के पदाधिकारीगण उपस्थित थे।
अंर्तराष्ट्रीय संयोजक डॉ0 राकेश रंजन सिंह जी ने सभा को संबोधित करते हुये ऐसी चीजें नाथूराम गोडसे और आप्टे जी के बारे में बतायी   जो बहुत से लोगों को नही मालूम थे, उन्होंने विस्तार से उसका स्पष्टीकरण किया और आगे बताया कि जब गोडसे जी फांसी के तख्ते पर चढ़े उनके एक हांथ में गीता दूसरे हांथ में हिन्दू राष्ट्र ध्वज था, और  वे हंसते-हंसते वे फांसी के फंदे पर झूल गये। और, तदोपरान्त जब आप्टे जी को फांसी पर लटकाया गया, उनकी मृत्यु ही नही हुयी जबकि कानून के  मुताबिक जिसे एक बार फांसी पर लटका दिया जाता है दूबारा  उन्हें नही लटकाया जा सकता, लेकिन आप्टे जी को कानून के खिलाफ सिर पर हथौड़े मारे गये और उनके पैर की नस काटी गयी तथा फिर दूबार उन्हें फांसी पर लटकाया गया, जिससे उनकी निर्मम हत्या हुयी। यह सारा प्रकरण अंबाला न्यायालय से आरंभ हुआ और अंबाला जेल में समाप्त हुआ।
पं0 बाबा नंद किशोर मिश्रा ने कहा, नाथूराम गोडसे एक सुलझे हुये तत्कालिक दैनिक अग्रणी के संपादक थे, मगर इसके साथ-साथ महान देश भक्त, हिन्दू चिंतक भी थे।
दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष कर्नल डीके कपूर जी ने कहा कि नाथूराम गोडसे, वीर सावरकर व आप्टे जी भारत के  एक  कर्मठ पुरूष थे जिन्होने भारत के इतिहास को एक नयी दिशा दी, और हमें उनसे शिक्षा ग्रहण करते हुये अपनी पहचान बनाते हुये हिन्दू राष्ट्र बनाने में अग्रसर होना  चाहिये।
इस सभा में सर्वश्री दीपक कपूर, दीपक चोपडा, मनीष मिश्रा, सपन दत्ता, रविन्द्र सिंह राठी, डॉ0 रविरंजन, चौधरी अंग्रेज सिंह, जंग बहादुर क्षत्रिय आदि ने श्रद्धा सुमन अर्पित किये।
                                                     

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