Saturday, February 4, 2012

इस्लाम में फतवाशाही !


सत्‍यवादी   प्रस्‍तुति: डॉ0 संतोष राय

इस्लाम का शाब्दिक अर्थ शान्ति ,विनम्रता और इश्वर के प्रति समर्पण होता है .और लगभग सभी लोग यह बात जानते हैं .लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इस्लाम का उद्देश्य लोगों का बोझ हलका करना और उन पर पड़े हुए अनावश्यक फंदों से आजाद करना भी है .जो कुरान की इन आयतों से साबित होता है .
1-इस्लाम का उद्देश्य
"मुसलमान तो सिर्फ उस रसूल के पीछे चलते हैं ,जो उत्तम चीजों को वैध और निकृष्ट चीजों को अवैध ठहरता है .और दूर करता है उनसे उनका बोझ और गैर जरुरी फंदे जो उन पर पड़े हुए हैं " सूरा -अल आराफ 7 :157
कुरान के इस स्पष्ट निर्देश के बावजूद अनेकों बार कुछ ऐसे ऐसे लोग पैदा हो जाते हैं जो ,इस्लाम के नाम पर अपनी मर्जी लोगों पर थोपते रहते है .जैसे कि यजीद ने अपनी निरंकुश हुकूमत को ही इस्लाम का असली रूप साबित करना चाहा था .और जिसका विरोध इमाम हुसैन ने अपनी शहादत से किया था .इसी तरह कुछ मुल्ले मौलवियों ने इस्लाम के नाम पर ऐसे ऐसे फतवे दिए हैं ,जिनका नैतिकता ,सदाचार और खुद इस्लाम की मूल भावना से दूर दूर का कोई सम्बन्ध नहीं है .दुर्भाग्य से आज भी ऐसी मानसिकता के लोग मौजूद हैं ,जो इस्लाम के ठेकदार बने हुए हैं .और अपनी गन्दी मानसिकता के चलते बेतुके फतवे देते रहते हैं .यह सिलसिला काफी पुराना है .यहाँ पर नए और पुराने फतवे दिए जा रहे हैं .
2-अजीब और बेतुका फतवा


केले ,ककड़ी जैसे फलों से दूर रहें मुस्लिम महिलाएं !
यूरोप के एक मौलवी ने फतवा जारी कर मुस्लिम महिलाओं को ऐसे फलों और सब्जियों को छूने से मना किया है जो पुरुषों के जननांग का आभास देते हैं. मौलवी ने महिलाओं को यौन विचारों से दूर रहने के तहत यह फतवा जारी किया है .इजिप्ट की एक न्यूज वेव साईट ने बुधवार को उक्त मौलवी के फतवे का हवाला देते हुए यह जानकारी दी है . मौलवी ने किसी धार्मिक प्रकाशन में लिखे ल्र्ख में ऐसी बातें कही हैं ..उक्त मौलवी का नाम नहीं बताया गया है .उसके अनुसार महिलाओं को केले और ककड़ी के पास भी नहीं जाना चाहिए .यदि महिलायें इन खाद्य पदार्थों को खाना चाहें तो ,कोई तीसरा व्यक्ति ,जो उनका सम्बन्धी पुरुष जैसे उसका पति ,या पिता हो ,इन वस्तुओं को छोटे छोटे टुकड़ों में काट कर उन्हें दे .ऐसा फतवे में कहा है .उक्त मौलवी के अनुसार केला और ककड़ी पुरुष जननांग की तरह दिखते हैं .और इसलिए महिलायें उत्तेजित हो सकती हैं ..या उनके मन में सेक्स का विचार आ सकता है ..उक्त मौलवी ने यह भी कहा है कि,महिलाओं को गाजर ,तुरई जैसी सब्जियों से भी बचना चाहिए .
( दैनिक जागरण -8 दिसंबर 2011 पेज 9 )
यह फतवा दिनांक 30 नवम्बर 2011 को जिस मौलवी ने जारी था ,उसका नाम "शेख यहरम अली " है .और यह फतवा मिस्र के जिस अखबार में छपा है .उसका अरबी में पूरा पेज दिया जा रहा है .ताकि मौलवियों की मानसिकता का अंदाजा लग सके .
3-अरबी में मूल फतवा

شيخ يحرم على المرأة اكل الموز والخيار منعا للاستثارة الجنسية
في فتوى شرعية غير مسبوقة، حرم شيخ دين يقيم في أوروبا على النساء ان يتناولن الخيار او الموز حتى لا تستثير المرأة جنسيا.
وقال الشيخ ان المرأة إذا أرادت ان تأكل موزه فيجب ان يتم تقطيعها من قبل محرم كي لا تمسكها المرأة بحجمها الطبيعي.
وتأتي فتوي الشيخ لأن الموز والخيار يشبهن العضو الذكري للرجل، وحرم أيضا الجزر والكوسا، واعتبرها ان هذه الخضراوات تقود المرأة إلى إطلاق العنان لمخيلتها وهي تأكل الموز، وترغب بممارسة الجنس مع رجل، معتبراً ان المرأة في هذه الحالة قد تسترسل في تخيلاتها وتشعر بالنشوة.
تاريخ اخر تحديث : 20:27 30/11/2011="

http://www.assawsana.com/portal/newsshow.aspx?id=58893

अभी आपने एक ऐसे मौलवी का बेतुका फतवा पढ़ा है ,जो अधिक विख्यात नहीं है .अब एक विश्वविख्यात मुस्लिम इमाम का फतवा देखिये जो बिलकुल ही विपरीत बात कहता है .फिर बताइए कौनसा फतवा सही है .यहाँ पर इसी विषय के बारे में सुन्नी इमाम इब्न कय्यीम के दो प्रमाणिक फतवे अंगरेजी में दिए जा रहे हैं .और हिंदी में उनका अनुवाद दिया गया है .असली अरबी फतवा भी अलग दिया है जो जे पी जी (J p g ) में है .
4- आदर्श चरित्र का नमूना
रसूल से साथी जिहाद के दौरान कृत्रिम संभोग करते थे फतवे में कहा है "यदि कोई व्यक्ति लगातार वासनासे ग्रस्त हो ,और उसे अपनी पत्नी या कोई गुलाम औरत न मिले .या किसी कारण से शादी न कर सके और वासना से भर जाये ,या उसे कोई डर हो ,जैसे कैद हो जाना ,या वह यात्रा में हो या वह इतना कंगाल हो कि शादी न कर सके तो ,ऐसी दशा में उसे हस्त मैथुन की इजाजत है .इमाम ने कहा है कि जिहाद और यात्रा के समय रसूल के सहाबी यही करते थे "
Examples of morality
Companions of Muhammad masturbated during Jihad
"If a man is torn between continued desire or releasing it, and if this man does not have a wife or he has a slave-girl but he does not marry, then if a man is overwhelmed by desire, and he fears that he will suffer because of this (someone like a prisoner, or a traveller, or a pauper), then it is permissible for him to masturbate, and Ahmad (ibn Hanbal) on this. Furthermore, it is narrated that the Companions of the Prophet (s) used to masturbate while they were on military expeditions or travelling".
Bada'i al-Fuwa'id of Ibn Qayyim (Islamic scholar), page 129
a-तरबूज और ककड़ी
Watermelons and Cucumbers
"यदि कोई पुरुष तरबूज में छेद करके ,या गुंधे हुए आटे में ,या चमड़े की खाल या किसी पुतले के साथ सम्भोग करता है तो ,वह भी उसी तरह हलाल है .और उसे भी हस्त मैथुन माना जायेगा ,जैसे जिहाद के समय हस्त मैथुन जायज और हलाल है ."
a-"If a man makes a hole in a watermelon, or a piece of dough, or a leather skin, or a statue, and has sex with it, then this is the same as what we have said about other types of masturbation [i.e., that it is halaal in the same circumstances given before, such as being on a journey]. In fact, it is easier than masturbating with one's hand".
"इसी तरह अगर किसी औरत के पास पति नहीं हो .और उसमे वासना की प्रबलता हो जाये .तो विद्वानों ने उसे अनुमति दी है ,कि वह औरत एक नर्म चमड़े के तुकडे को इस तरह से लपेटे जिसका आकार एक लिंग की तरह हो जाये .फिर उसे अन्दर घुसवा ले .वह औरत चाहे तो ककड़ी का भी प्रयोग कर सकती है .और वासना शांत कर सकती है "
b-"If a woman does not have a husband, and her lust becomes strong, then some of our scholars say: It is permissible for the woman to take an akranbij, which is a piece of leather worked until it becomes shaped like a penis, and insert it in herself. She may also use a cucumber".
Bada'i al-Fuwa'id of Ibn Qayyim (Islamic scholar), page 129
प्रमाण के लिए "बिदा अल फवाईद بداءع الفواءد" की मूल हदीस देखिये .
http://www.answering-ansar.org/answers/mutah/bida_alfawaid_p129.jpg


Sunni Imam Abu Bakar al-Kashani (d. 587 H) records in his authority work 'Badaye al-Sanae' Volume 2 page 216:

5-इमाम इब्न कय्यीम का परिचय
इनका पूरा नाम "इमाम शमशुद्दीन अबू अब्दुल्लाह मुहम्मद इब्न अबी बकर इब्न साद अल दमिश्की था شمس الدين محمد بن أبي بكر بن أيوب ،ابن القيم الجوزية ابن القيم"यह हम्बली फिरके से सम्बंधित थे.इनका जन्म इस्लामी महीने सफ़र की 7 वीं तारीख को सन 691 हिजरी तदानुसार 4 फरवरी सन 1292 को दमिश्क के गाँव इजारा में हुआ था .और मृत्यु सन 1350 में हुई थी .इब्न कय्यीम एक प्रसिद्ध सुन्नी विद्वान् ,फकीह ,फिलोसफ़र ,और धर्म शाश्त्री भी थे . इसलिए इनके फतवों पर शक करने का कोई सवाल ही नहीं उठता .सभी प्रमाणिक और विश्वसनीय हैं .
6-कुतर्कियों से सावधान
आज भी चालाक मुल्ले मौलवी अपने कुतर्कों और बेतुकी दलीलों के सहारे मुसलमानों को गुमराह करते रहते हैं .और लोग उन्हीं की बातों सही मान लेते हैं .कुरान में ऐसे लोगों से बचने को कहा है .कुरान में कहा है ,
"तुम ऐसे लोगों को छोडो यह अपनी दलीलबाजियों और कुतर्कों के खेल में लगे रहें ,यहांतक इनकी उस दिन से भेंट हो जाये ,जिसका इनसे वादा किया गया है ."
सूरा- अज जुखुरुफ़ 43 :83
जो लोग लोग द्वेषभावना से ग्रस्त होकर हमारे ऊपर इस्लाम को बदनाम करने का आरोप लगाते हैं . उनको चाहिए कि वह इन दोनों परस्पर विरोधी फतवों को ध्यान से पढ़ें .और बताएं कि इस्लाम को कौन बदनाम और बर्बाद कर रहा है ? क्या फतवे सिर्फ औरतों के लिए ही दिए जाते हैं .क्या मुस्लिम औरतें ककड़ी ,खीरा,गाजर .मुली .या केला नहीं खाएं और खरीदें ?क्या इन मौलवियों को मुस्लिम औरतों के चरित्र पर कोई शक है ?
किसी ने सही कहा है " नीम काजी खतरये ईमान "
http: //ajareresalat.forum5.info/t150-dirty-sunni-fatwas-explicit-content

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