Monday, April 30, 2012

परिवार नियोजन


अखिल भारत  हिन्‍दू महासभा

49वां अधिवेशन पा‍टलिपुत्र-भाग:12  

(दिनांक 24 अप्रैल,1965)

अध्‍यक्ष बैरिस्‍टर श्री नित्‍यनारायण बनर्जी  का अध्‍यक्षीय भाषण 

प्रस्‍तुति: बाबा पं0 नंद किशोर मिश्र 




आज कांग्रेस सरकार  देश के खाद्यान्‍न संकट को टालने के लिये परिवार नियोजन के नाम पर देश के नर नारियों में नितान्‍त निर्लज्‍जता  सहित वन्‍ध्‍याकरण को प्रोत्‍साहन दे रही है। राष्‍ट्रीय नैतिकता और व्‍यक्तियों के मस्तिष्‍क पर इस क्रिया का क्‍या प्रभाव पड़ता है, इस बात को भी एक ओर रखकर हम भारत के भावी राजनैतिक ढांचे पर ही इस योजना के प्रभाव का विचार तो करें। कांग्रेस सरकार के कानून बनाकर प्रत्‍येक हिंदू को एक से अधिक विवाह करने से रोक दिया किंतु उसने ही धार्मिक फरमान के आधार पर मुसलमानों को ''अच्‍छे कानून'' की परिधि से  बाहर रखा है यद्यपि पाकिस्‍तान में ऐसा कर दिया गया है। 

इसका परिणाम सामान्‍य प्रक्रिया में ही यह होगा कि मुसलमान की वृद्धि का अनुपात हिंदुओं  से दोगुना होगा और प्रत्‍येक पीढ़ी में उनका प्रतिशत हिंदुओं की अपेक्षा बढ़ता ही रहेगा। यह एक सुपरिचित तथ्‍य है और सरकारी आंकड़े भी इस सत्‍य की साक्षी प्रमाणित करते हैं कि परिवार नियोजन में मुसलमान कोई रूचि नहीं दिखाते और केवल हिंदू ही देश के भविष्‍य और परिवार के संबंध में अधिक चिंतित हैं। तो क्‍या हम इसी प्रकार खाद्यान्‍न बचाने के लिये राष्‍ट्रीय आत्‍महत्‍या के पथ का अवलंबन करेंगे और अपनी यह प्रियमातृभूमि पाकिस्‍तान अथवा उससे  सहानुभूति रखने वालों को ही निकट भविष्‍य में समर्पित कर देंगे

अब तो आधुनिक शासन खाद्यान्‍न बचाने के नाम पर गर्भपात को भी कानून सम्‍मत ठहराने की दिशा में प्रवृत्‍त हैं। हमारी केन्‍द्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने 24 मार्च 1965 को राज्‍य सभा में कहा कि भारत में चूहे भी उतना ही अन्‍न पचा रहे हैं जितना कि राष्‍ट्रीय खपत है। डॉ0 सुशील नैयर के आंकड़ों के अनुसार 6 चूहे ही उतना ही अन्‍न पचा जाते हैं जितना कि एक व्‍यक्ति खाता है और भारत में  240 करोड़ चूहे हैं। मैं स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री  से अनुरोध करूंगा कि वे मानव भ्रूणों की हत्‍या को वैध घोषित करने के पूर्व इन चूहों की हत्‍या  का ही वीणा उठाएं। अन्‍य आंकड़ों के अनुसार भारत का 30 प्रतिशत खाद्यान्‍न बेकार चला जाता है। सरकार को खाद्यान्‍न समस्‍या के नाम पर हिंदुओं की संख्‍या घटाने और मुसलमानों की संख्‍या बढ़ाने के बजाए खाद्यान्‍न की बर्बादी रोकनी चाहिये।

इसका यह अर्थ कदापि नही लगाया जाना चाहिये कि मैं बहु पत्‍नी प्रथा का समर्थक हूं, मैं जो बात कहना चाहता हूं वह ये है कि प्रत्‍येक  भारतवासी के लिये एकसा कानून होना चाहिये और शासकों को बुद्धिमत्‍ता से काम लेना चाहिये।
भारत सबसे बड़ा कर्जदार

आज विश्‍व भर में भारत को प्रथम श्रेणी का कर्जदार होने की ख्‍याति प्राप्‍त हो गई है और वह विदेशों को 436 करोड़ रूपया वार्षिक ब्‍याज ही के रूप में चुका रहा है। जहां 1950-51 में भारत पर 32.03  करोड़ रूपये का ही विदेशी ऋण  था वहां 1965-66 में यह राशि 2763.80  करोड़ रूपये तक जा पहुंचेगी और हम पर पूर्ण  राष्‍ट्रीय ऋण  7841.58  करोड़ रूपये हो जायेगा। पी0एल0 480 इत्‍यादि विभिन्‍न  परियोजनाओं और करारों  के रूप में आज अमेरिका का नियंत्रण भारत के एक छोर से दूसरे छोर तक स्थित अगणित ग्रामों तक विस्‍त्रृत हो गया है और अब अमेरिका भारत के समक्ष ऐसी शर्तें प्रस्‍तुत कर रहा है जो  उसके राष्‍ट्रीय सम्‍मान के पूर्णत: प्रतिकूल है। आज अपने इस आर्थिक दुर्भाग्‍य  पर अश्रुपात करने अथवा ऐसी सरकार को आर्थिक विपदाओं से मुक्ति प्राप्‍त करने के  उपाय सुझाने  का भी क्‍या लाभ है जिसने अपने विदेशी संरक्षकों के समक्ष देश को आर्थिक दृष्टि से दास बनाकर रख देने का संकल्‍प ही ग्रहण कर लिया है?

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